इस पोस्ट में हमाने आपके लिए Mirze Ghalib Shayari लिखा है जैसे बिना शायरी के WhatsApp, Facebook Instagram or Pinterest अधूरा है तो आप इस पोस्ट को Share करके पूरा कर सकते अगर आपको Mirze Ghalib Shayari पढ़ाना है तो आप इस ध्यान से पढ़ें
दर्द हो दिल में तो दवा कीजे दिल के रब से तब होगा दिल का इलाज
हमको फ़रियाद करनी आती है आप सुनते नहीं तो क्या कीजे
इन बुतों को ख़ुदा से क्या मतलब तौबा तौबा ख़ुदा ख़ुदा कीजे
रंज उठाने से भी ख़ुशी होगी पहले दिल दर्द आशना कीजे

अर्ज़-ए-शोख़ी निशात-ए-आलम है
हुस्न को और ख़ुदनुमा कीजे
दुश्मनी हो चुकी बक़द्र-ए-वफ़ा
अब हक़-ए-दोस्ती अदा कीजे
Mirze Ghailb Shayari in Hindi
मौत आती नहीं कहीं, ग़ालिब
कब तक अफ़सोस जीस्त का कीजे
तेरे ज़वाहिरे तर्फ़े कुल को क्या देखें
हम औजे तअले लाल-ओ-गुहर को देखते हैं
आज फिर इस दिल में बेक़रारी है
सीना रोए ज़ख्म-ऐ-कारी है
फिर हुए नहीं गवाह-ऐ-इश्क़ तलब
अश्क़-बारी का हुक्म ज़ारी है
बे-खुदा , बे-सबब नहीं , ग़ालिब
कुछ तो है जिससे पर्दादारी है
दुःख दे कर सवाल करते हो
तुम भी ग़ालिब कमाल करते हो
देख कर पूछ लिया हाल मेरा
चलो कुछ तो ख्याल करते हो
शहर-ऐ-दिल में उदासियाँ कैसी
यह भी मुझसे सवाल करते हो
WhatsApp Mirze Ghalib Shayari
मरना चाहे तो मर नहीं सकते
तुम भी जिना मुहाल करते हो
मैं उन्हें छेड़ूँ और कुछ न कहें
चल निकलते जो में पिए होते
मेरी किस्मत में ग़म गर इतना था
दिल भी या रब कई दिए होते
जीवन में आ ही जाता है ‘ग़ालिब ’
कोई दिन और भी जिए होता
पता नहीं क्यूं चिपक रहा है बदन लहू से पैराहन
हमारी जेब को अब हाजत-ए-रफ़ू क्या है
जिन्दगी में चीज़ जिसका हमको हो बहिश्त अज़ीज़
सिवाए वादा-ए-गुल्फ़ाम-ए-मुश्कबू क्या है
पियूँ शराब लेकिन ख़ुम को ना मना लूँ दो-चार
ये शीशा-ओ-क़दह-ओ-कूज़ा-ओ-सुबू क्या है
Mirze Ghalib Status Shayari
गैर लें महफ़िल में बोसे जाम के
हम रहें यूँ तिश्ना-लब पैग़ाम के
ख़त लिखेंगे गरचे मतलब कुछ न हो
हम तो आशिक़ हैं तुम्हारे नाम के
रात पी ज़मज़म पे मय और सुब्ह-दम
धोए धब्बे जामा-ए-एहराम के
दिल को आँखों ने फँसाया क्या मगर
ये भी हल्क़े हैं तुम्हारे दाम के
शाह के है ग़ुस्ल-ए-सेह्हत की ख़बर
देखिए कब दिन फिरें हम्माम के
इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया
वर्ना हम भी आदमी थे काम के
आशिकी सब्र तलब और तमन्ना बेताब
दिल का क्या रंग करूं खून में जिगर होने चाहिए
Mirze Ghalib status Quotes
यक-नज़र बेश नहीं, फुर्सते-हस्ती गाफिल
गर्मी-ए-बज्म है इक रक्स-ए-शरर होने तक
इश्क़ मुझको नहीं, वहशत ही सही
मेरी वहशत तेरी शोहरत ही सही
क़त्अ कीजे, न तअल्लुक़ हम से
कुछ नहीं है, तो अदावत ही सही
मेरे होने में है क्या रुसवाई
ऐ वो मजलिस नहीं, ख़ल्वत ही सही
हम भी दुश्मन तो नहीं हैं अपने
ग़ैर को तुझसे मुहब्बत ही सही
Mirze Ghalib Shayari for girlfriend
हम कोई तर्के-वफ़ा करते हैं
ना सही इश्क़, मुसीबत ही सही
हम भी तस्लीम की ख़ू डालेंगे
बेनियाज़ी तेरी आदत ही सही
यार से छेड़ चली जाए ‘असद’
गर नहीं वस्ल तो हसरत ही सही
लाखों लगाव एक चुराना निगाह का
लाखों बनाव एक बिगड़ना इताब में
तेरे ज़वाहिरे तर्फ़े कुल को क्या देखें
हम औजे तअले लाल-ओ-गुहर को देखते हैं
आज फिर इस दिल में बेक़रारी है
सीना रोए ज़ख्म-ऐ-कारी है
Mirze Ghailb Quotes Status Shayari
फिर हुए नहीं गवाह-ऐ-इश्क़ तलब
अश्क़-बारी का हुक्म ज़ारी है
बे-खुदा , बे-सबब नहीं , ग़ालिब
कुछ तो है जिससे पर्दादारी है
दुःख दे कर सवाल करते हो
तुम भी ग़ालिब कमाल करते हो
देख कर पूछ लिया हाल मेरा
चलो कुछ तो ख्याल करते हो
शहर-ऐ-दिल में उदासियाँ कैसी
यह भी मुझसे सवाल करते हो
मरना चाहे तो मर नहीं सकते
तुम भी जिना मुहाल करते हो
Mirze Ghalib Shayari for boyfriend
अब मैं हर किसी को मिसाल दू मैं तुम को
हर सितम बे-मिसाल करते हो
मैं उन्हें छेड़ूँ और कुछ न कहें
चल निकलते जो में पिए होते
मेरी किस्मत में ग़म गर इतना था
दिल भी या रब कई दिए होते
आ ही जाता वो राह पर ‘ग़ालिब
कोई दिन और भी जिए होता
चिपक रहा है बदन पर लहू से पैराहन
हमारी जेब को अब हाजत-ए-रफ़ू क्या है
वो चीज़ जिसके लिये हमको हो बहिश्त अज़ीज़
सिवाए वादा-ए-गुल्फ़ाम-ए-मुश्कबू क्या है
Mirze Ghalib Shayari for wife
पियूँ शराब अगर ख़ुम भी देख लूँ दो-चार
ये शीशा-ओ-क़दह-ओ-कूज़ा-ओ-सुबू क्या है
हुआ है शाह का मुसाहिब, फिरे है इतराता
वरना शहर में ‘ग़ालिब; की आबरू क्या है
ग़ैर लें महफ़िल में बोसे जाम के
हम रहें यूँ तिश्ना-लब पैग़ाम के
ख़स्तगी का तुम से क्या शिकवा कि ये
हथकण्डे हैं चर्ख़-ए-नीली-फ़ाम के

ख़त लिखेंगे गरचे मतलब कुछ न हो
हम तो आशिक़ हैं तुम्हारे नाम के
Mirze Ghalib Shayari for husband
रात पी ज़मज़म पे मय और सुब्ह-दम
धोए धब्बे जामा-ए-एहराम के
दिल को आँखों ने फँसाया क्या मगर
ये भी हल्क़े हैं तुम्हारे दाम के
शाह के है ग़ुस्ल-ए-सेह्हत की ख़बर
देखिए कब दिन फिरें हम्माम के
इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया
वर्ना हम भी आदमी थे काम के
आशिकी सब्र तलब और तमन्ना बेताब
दिल का क्या रंग करूं खून-ए-जिगर होने तक
हमने माना कि तगाफुल न करोगे लेकिन
ख़ाक हो जाएँगे हम तुमको ख़बर होने तक
Ghalib poetry status Shayari in Hindi
यक-नज़र बेश नहीं, फुर्सते-हस्ती गाफिल
गर्मी-ए-बज्म है इक रक्स-ए-शरर होने तक
हम मुवहिहद हैं, हमारा केश है तर्क-ए-रूसूम
मिल्लतें जब मिट गैइं, अज्ज़ा-ए-ईमाँ हो गईं
मुद्दत हुई है यार को मिह्मां किये हुए
जोश-ए क़दह से बज़्म चिराग़ां किये हुए
कर्ता हूं जम`अ फिर जिगर-ए लख़्त-लख़्त को
`अर्सह हुआ है द`वत-ए मिज़ह्गां किये हुए
फिर वज़`-ए इह्तियात से रुक्ने लगा है दम
बर्सों हुए हैं चाक-ए गरेबां किये हुए
फिर गर्म-ए नालह्हा-ए शरर-बार है नफ़स
मुद्दत हुई है सैर-ए चिराग़ां किये हुए
Mirze Ghalib Shayari for Facebook
फिर पुर्सिश-ए जराहत-ए दिल को चला है `इश्क़
सामान-ए सद-हज़ार नमक्दां किये हुए
बा-हम-दिगर हुए हैं दिल-ओ-दीदह फिर रक़ीब
नज़्ज़ारह-ए जमाल का सामां किये हुए
दिल फिर तवाफ़-ए कू-ए मलामत को जाए है
पिन्दार का सनम-कदह वीरां किये हुए
फिर शौक़ कर रहा है ख़रीदार की तलब
`अर्ज़-ए मत`-ए `अक़्ल-ओ-दिल-ओ-जां किये हुए
दौड़े है फिर हर एक गुल-ओ-लालह पर ख़ियाल
सद गुल्सितां निगाह का सामां किये हुए
फिर चाह्ता हूं नामह-ए दिल्दार खोल्ना
जां नज़्र-ए दिल-फ़रेबी-ए `उन्वां किये हुए
Mirze Ghalib Shayari for Instagram
मांगे है फिर किसी को लब-ए बाम पर हवस
ज़ुल्फ़-ए सियाह रुख़ पह परेशां किये हुए
चाहे है फिर किसी को मुक़ाबिल में आर्ज़ू
सुर्मे से तेज़ दश्नह-ए मिज़ह्गां किये हुए
इक नौ-बहार-ए नाज़ को ताके है फिर निगाह
चह्रह फ़ुरोग़-ए मै से गुलिस्तां किये
फिर जी में है कि दर पर किसी के पड़े रहें
सर ज़ेर-बार-ए मिन्नत-ए दर्बां किये हुए
जी ढूंड्ता है फिर वही फ़ुर्सत कि रात दिन
बैठे रहें तसव्वुर-ए जानां किये हुए
ग़ालिब हमें न छेड़ कि फिर जोश-ए अश्क से
बैठे हैं हम तहीयह-ए तूफ़ां किये हुए
नुक्तह-चीं है ग़म-ए दिल उस को सुनाए न बने
क्या बने बात जहां बात बनाए न बने
Mirze Ghalib Shayari for Pinterest
इब्न-ए-मरयम हुआ करे कोई
मेरे दुख की दवा करे कोई
शरअ ओ आईन पर मदार सही
ऐसे क़ातिल का क्या करे कोई
चाल जैसे कड़ी कमान का तीर
दिल में ऐसे के जा करे कोई
बात पर वाँ ज़बान कटती है
वो कहें और सुना करे कोई
बक रहा हूँ जुनूँ में क्या क्या कुछ
कुछ न समझे ख़ुदा करे कोई
न सुनो गर बुरा कहे कोई
न कहो गर बुरा करे कोई
Attitude Mirze Ghalib Shayari
रोक लो गर ग़लत चले कोई
बख़्श दो गर ख़ता करे कोई
कौन है जो नहीं है हाजत-मंद
किस की हाजत रवा करे कोई
क्या किया ख़िज़्र ने सिकंदर से
अब किसे रहनुमा करे कोई
जब तवक़्क़ो ही उठ गई ग़ालिब
क्यूँ किसी का गिला करे कोई
ज़ुल्मत-कदे में मेरे शब-ए ग़म का जोश है
इक शम`अ है दलील-ए सहर सो ख़मोश है
ने मुज़ह्दह-ए विसाल न नज़्ज़ारह-ए जमाल
मुद्दत हुई कि आश्ती-ए चश्म-ओ-गोश है
मैने किया है हुस्न-ए ख़्वुद-आरा को बे-हिजाब
अय शौक़ हां इजाज़त-ए तस्लीम-ए होश है
Ghalib Poetry WhatsApp Status Sad Shayari
गौहर को `उक़्द-ए गर्दन-ए ख़ूबां में देख्ना
क्या औज पर सितारह-ए गौहर-फ़रोश है
दीदार बादह हौस्लह साक़ी निगाह मस्त
बज़्म-ए ख़याल मै-कदह-ए बे-ख़रोश है
अय ताज़ह-वारिदान-ए बिसात-ए हवा-ए दिल
ज़िन्हार अगर तुम्हें हवस-ए नै-ओ-नोश है
देखो मुझे जो दीदह-ए `इब्रत-निगाह हो
मेरी सुनो जो गोश-ए नसीहत-नियोश है
साक़ी ब जल्वह दुश्मन-ए ईमान-ओ-आगही
मुत्रिब ब नग़्मह रह्ज़न-ए तम्कीन-ओ-होश है
या शब को देख्ते थे कि हर गोशह-ए बिसात
दामान-ए बाग़्बान-ओ-कफ़-ए गुल-फ़रोश है
Love Mirze Ghalib Shayari
लुत्फ़-ए ख़िराम-ए साक़ी-ओ-ज़ौक़-ए सदा-ए चन्ग
यह जन्नत-ए निगाह वह फ़िर्दौस-ए गोश है
आते हैं ग़ैब से यह मज़ामीं ख़याल में
ग़ालिब सरीर-ए ख़ामह नवा-ए सरोश है
दिल-ए नादां तुझे हुआ क्या है
आखिर इस दर्द की दवा क्या है
हम हैं मुश्ताक़ और वह बेज़ार
या इलाही यह माजरा क्या है
मैं भी मुंह में ज़बान रखता हूँ
काश पूछो कि मुद्दा क्या है
जब कि तुझ बिन नहीं कोई मौजूद
फिर ये हंगामा-ए- ख़ुदा क्या है
Romantic Mirze Ghalib Shayari
ये परी-चेहरा लोग कैसे हैं
ग़मजा-ओ-`इशवा- ओ-अदा क्या है
शिकन-ए-ज़ुल्फ़-ए-अम्बरी क्यों है
निगह-ए-चश्म-ए-सुर्मा सा क्या है
सबज़ा-ओ-गुल कहाँ से आये हैं
अब्र क्या चीज़ है हवा क्या है
हमको उनसे वफ़ा की है उम्मीद
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है
हाँ भला कर तेरा भला होगा
और दर्वेश की सदा क्या है
जान तुम पर निसार करता हूँ
मैं नहीं जानता दुआ क्या है
मैंने माना कि कुछ नहीं ‘ग़ालिब’
मुफ़्त हाथ आये तो बुरा क्या है
Emotional Mirze Ghalib Shayari
रोने से और् इश्क़ में बेबाक हो गए
धोए गए हम ऐसे कि बस पाक हो गए
रुसवा-ए-दहर गो हुए आवार्गी से तुम
बारे तबीयतों के तो चालाक हो गए
कहता है कौन नाला-ए-बुलबुल को बेअसर
पर्दे में गुल के लाख जिगर चाक हो गए
पूछे है क्या वजूद-ओ-अदम अहल-ए-शौक़ का
आप अपनी आग से ख़स-ओ-ख़ाशाक हो गए
करने गये थे उस से तग़ाफ़ुल का हम गिला
की एक् ही निगाह कि बस ख़ाक हो गए
इस रंग से उठाई कल उसने ‘असद’ की नाश
दुश्मन भी जिस को देख के ग़मनाक हो गए
Happy propose day Status Shayari in Hindi
वह फ़िराक़ और वह विसाल कहां
वह शब-ओ-रोज़-ओ-माह-ओ-साल कहां
Sad Mirze Ghalib Shayari
फ़ुर्सत-ए कारोबार-ए शौक़ किसे
ज़ौक़-ए नज़्ज़ारह-ए जमाल कहां
दिल तो दिल वह दिमाग़ भी न रहा
शोर-ए सौदा-ए ख़त्त-ओ-ख़ाल कहां
थी वह इक शख़्स के तसव्वुर से
अब वह र`नाई-ए ख़याल कहां
ऐसा आसां नहीं लहू रोना
दिल में ताक़त जिगर में हाल कहां
हम से छूटा क़िमार-ख़ानह-ए `इश्क़
वां जो जावें गिरिह में माल कहां
फ़िक्र-ए दुन्या में सर खपाता हूं
मैं कहां और यह वबाल कहां
मुज़्महिल हो गए क़ुवा ग़ालिब
वह `अनासिर में इ`तिदाल कहां
फिर मुझे दीदा-ए-तर याद आया
दिल जिगर तश्ना-ए-फ़रियाद आया
दम लिया था न क़यामत ने हनोज़
फिर तेरा वक़्त-ए-सफ़र याद आया
सादगी हाये तमन्ना यानी
फिर वो नैइरंग-ए-नज़र याद आया
hart touching Mirze Ghalib Shayari
उज़्र-ए-वामाँदगी अए हस्रत-ए-दिल
नाला करता था जिगर याद आया
ज़िन्दगी यूँ भी गुज़र ही जाती
क्यों तेरा राहगुज़र याद आया
क्या ही रिज़वान से लड़ाई होगी
घर तेरा ख़ुल्द में गर याद आया
आह वो जुर्रत-ए-फ़रियाद कहाँ
दिल से तंग आके जिगर याद आया
फिर तेरे कूचे को जाता है ख़्याल
दिल-ए-ग़ुमगश्ता मगर याद् आया
कोई वीरानी-सी-वीराँई है
दश्त को देख के घर याद आया
मैंने मजनूँ पे लड़कपन में ‘असद’
संग उठाया था के सर याद आया
फिर कुछ इस दिल् को बेक़रारी है
सीना ज़ोया-ए-ज़ख़्म-ए-कारी है
फिर जिगर खोदने लगा नाख़ून
आमद-ए-फ़स्ल-ए-लालाकारी है
क़िब्ला-ए-मक़्सद-ए-निगाह-ए-नियाज़
फिर वही पर्दा-ए-अम्मारी है
चश्म-ए-दल्लल-ए-जिन्स-ए-रुसवाई
दिल ख़रीदार-ए-ज़ौक़-ए-ख़्बारी है
वही सदरंग नाला फ़र्साई
वही सदगूना अश्क़बारी है
anger Mirze Ghalib Shayari
दिल हवा-ए-ख़िराम-ए-नाज़ से फिर
महश्रिस्ताँ-ए-बेक़रारी है
जल्वा फिर अर्ज़-ए-नाज़ करता है
रोज़-ए-बाज़ार-ए-जाँसुपारी है
फिर उसी बेवफ़ा पे मरते हैं
फिर वही ज़िन्दगी हमारी है
आईना क्यूँ न दूँ के तमाशा कहें जिसे
ऐसा कहाँ से लाऊँ के तुझसा कहें जिसे
हसरत ने ला रखा तेरी बज़्म-ए-ख़्याल में
गुलदस्ता-ए-निगाह सुवेदा कहें जिसे
फूँका है किसने गोशे मुहब्बत में ऐ ख़ुदा
अफ़सून-ए-इन्तज़ार तमन्ना कहें जिसे
सर पर हुजूम-ए-दर्द-ए-ग़रीबी से डलिये
वो एक मुश्त-ए-ख़ाक के सहरा कहें जिसे
है चश्म-ए-तर में हसरत-ए-दीदार से निहाँ
शौक़-ए-इनाँ गुसेख़ता दरिया कहें जिसे
दरकार है शिगुफ़्तन-ए-गुल हाये ऐश को
सुबह-ए-बहार पंबा-ए-मीना कहें जिसे
‘ग़ालिब’ बुरा न मान जो वाइज़ बुरा कहे
दुनिया में ऐसा भी कोई व्यक्ति है जिसे में सब अच्छा है
समझ के करते हैं बाज़ार में वो पुर्सिश-ए-हाल
कि ये कहे कि सर-ए-रहगुज़र है, क्या कहिये
उंहें सवाल पे ज़ओम-ए-जुनूँ है, क्यूँ लड़िये
हमें जवाब से क़तअ-ए-नज़र है, क्या कहिये
Shayari on Mirze Ghalib in Hindi
हसद सज़ा-ए-कमाल-ए-सुख़न है, क्या कीजे
सितम, बहा-ए-मतअ-ए-हुनर है, क्या कहिये
कहा है किसने कि ‘ग़ालिब’ बुरा नहीं लेकिन
सिवाय इसके कि आशुफ़्तासर है क्या कहिये
आ कि मेरी जान को क़रार नहीं है
ताक़ते-बेदादे-इन्तज़ार नहीं है
देते हैं जन्नत हयात-ए-दहर के बदले
नश्शा बअन्दाज़-ए-ख़ुमार नहीं है
गिरिया निकाले है तेरी बज़्म से मुझ को
हाये! कि रोने पे इख़्तियार नहीं है
हम से अबस है गुमान-ए-रन्जिश-ए-ख़ातिर
ख़ाक में उश्शाक़ की ग़ुब्बार नहीं है
दिल से उठा लुत्फे-जल्वाहा-ए-म’आनी
ग़ैर-ए-गुल आईना-ए-बहार नहीं है
क़त्ल का मेरे किया है अहद तो बारे
वाये! अगर अहद उस्तवार नहीं है
तूने क़सम मैकशी की खाई है ‘ग़ालिब’
तेरी क़सम का कुछ ऐतबार नहीं है
नक़्श फ़र्यादी है किस की शोख़ी-ए तह्रीर का
काग़ज़ी है पैरहन हर पैकर-ए तस्वीर का
जज़्बह-ए बे-इख़्तियार-ए शौक़ देखा चाहिये
सीनह-ए शम्शीर से बाहर है दम शम्शीर का
आगही दाम-ए शुनीदन जिस क़दर चाहे बिछाए
मुद्द`आ `अन्क़ा है अप्ने `आलम-ए तक़्रीर का
मस्ती ब-ज़ौक़-ए-ग़फ़लत-ए-साक़ी हलाक है
मौज-ए-शराब यक-मिज़ा-ए-ख़्वाब-नाक है
Quotes on Mirze Ghalib Shayari
जुज़ ज़ख्म-ए-तेग़-ए-नाज़ नहीं दिल में आरज़ू
जेब-ए-ख़याल भी तिरे हाथों से चाक है
जोश-ए-जुनूँ से कुछ नज़र आता नहीं असद
सहरा हमारी आँख में यक-मुश्त-ए-ख़ाक है
वह हल्क़ा-हा-ए-ज़ुल्फ़ कमीं में हैं या ख़ुदा
रख लीजो मेरे दावा-ए-वारस्तगी की शर्म
मीना-ए-मय है सर्व नशात-ए-बहार से
बाल-ए-तदरव जल्वा-ए-मौज-ए-शराब है
नज़्ज़ारा क्या हरीफ़ हो उस बर्क़-ए-हुस्न का
जोश-ए-बहार जल्वे को जिस के नक़ाब है
गुज़रा असद मसर्रत-ए-पैग़ाम-ए-यार से
क़ासिद पे मुझ को रश्क-ए-सवाल-ओ-जवाब है
रहा गर कोई ता क़यामत सलामत
फिर इक रोज़ मरना है हज़रत सलामत
जिगर को मिरे इश्क़-ए-खूँ-नाबा-मशरब
लिखे है ख़ुदावंद-ए-नेमत सलामत
अलर्रग़्मे दुश्मन शहीद-ए-वफ़ा हूँ
मुबारक मुबारक सलामत सलामत
Motivation Quotes by Mirze Ghalib
नहीं गर ब-काम-ए-दिल-ए-ख़स्ता गर्दूं
तमाशा-ए-नैरंग-ए-सूरत सलामत
दो-आलम की हस्ती पे ख़त्त-ए-फ़ना खींच
दिल-ओ-दस्त-ए-अरबाब-ए-हिम्मत सलामत
नहीं गर ब-काम-ए-दिल-ए-ख़स्ता गर्दूं
जिगर-ख़ाइ-ए-जोश-ए-हसरत सलामत
वुफ़ूर-ए-वफ़ा है हुजूम-ए-बला है
सलामत मलामत मलामत सलामत
न फ़िक्र-ए-सलामत न बीम-ए-मलामा
ज़-ख़ुद-रफ़्तगी-हा-ए-हैरत सलामत
लब-ए-ईसा की जुम्बिश करती है गहवारा-जम्बानी
क़यामत कुश्त-ए-लाल-ए-बुताँ का ख़्वाब-ए-संगीं है
बयाबान-ए-फ़ना है बाद-ए-सहरा-ए-तलब ग़ालिब
पसीना-तौसन-ए-हिम्मत तो सैल-ए-ख़ाना-ए-जीं है
ख़ुश वहशते कि अर्ज़-ए-जुनून-ए-फ़ना करूँ
जूँ गर्द-ए-राह जामा-ए-हस्ती क़बा करूँ
आ ऐ बहार-ए-नाज़ कि तेरे ख़िराम से
दस्तार गिर्द-ए-शाख़-ए-गुल-ए-नक़्श-ए-पा करूँ
ख़ुश उफ़्तादगी कि ब-सहरा-ए-इन्तिज़ार
जूँ जादा गर्द-ए-रह से निगह सुर्मा-सा करूँ
Shayari by Mirze Ghalib
वह बे-दिमाग़-ए-मिन्नत-ए-इक़बाल हूँ कि मैं
वहशत ब-दाग़-ए-साया-ए-बाल-ए-हुमा करूँ
वह इल्तिमास-ए-लज्ज़त-ए-बे-दाद हूँ कि मैं
तेग़-ए-सितम को पुश्त-ए-ख़म-ए-इल्तिजा करूँ
वह राज़-ए-नाला हूँ कि ब-शरह-ए-निगाह-ए-अज्ज़
अफ़्शाँ ग़ुबार-ए-सुर्मा से फ़र्द-ए-सदा करूँ
अपने को देखता नहीं ज़ौक़-ए-सितम को देख
आईना ता-कि दीदा-ए-नख़चीरर से न हो
वुसअत-ए-सई-ए-करम देख कि सर-ता-सर-ए-ख़ाक
गुज़रे है आबला-पा अब्र-ए-गुहर-बार हुनूज़
यक-क़लम काग़ज़-ए-आतिश-ज़दा है सफ़्हा-ए-दश्त
नक़्श-ए-पा में है तब-ए-गर्मी-ए-रफ़्तार हुनूज़
सफ़ा-ए-हैरत-ए-आईना है सामान-ए-ज़ंग आख़िर
तग़य्युर आब-ए-बर-जा-मांदा का पाता है रंग आख़िर
न की सामान-ए-ऐश-ओ-जाह ने तदबीर वहशत की
हुआ जाम-ए-ज़मुर्रद भी मुझे दाग़-ए-पलंग आख़िर
न हो ब-हर्ज़ा बयाबाँ-नवर्द-ए-वहम-ए-वुजूद
हुनूज़ तेरे तसव्वुर में है नशेब-ओ-फ़राज़
विसाल जल्वा तमाशा है पर दिमाग़ कहाँ
कि दीजे आइना-ए-इन्तिज़ार को पर्दाज़
WhatsApp Quotes by Mirze Ghalib
हर एक ज़र्रा-ए-आशिक़ है आफ़ताब-परस्त
गई न ख़ाक हुए पर हवा-ए-जल्वा-ए-नाज़
न पूछ वुसअत-ए-मै-ख़ाना-ए-जुनूँ ग़ालिब
जहाँ ये कासा-ए-गर्दूं है एक ख़ाक-अंदाज़
फ़रेब-ए-सनअत-ए-ईजाद का तमाशा देख
निगाह अक्स-फ़रोश-ओ-ख़याल-ए-आइना-साज़
ज़-बस-कि जल्वा-ए-सय्याद हैरत-आरा है
उड़ी है सफ़्हा-ए-ख़ातिर से सूरत-ए-परवाज़
हुजूम-ए-फ़िक्र से दिल मिस्ल-ए-मौज लर्ज़ां है
कि शीशा नाज़ुक ओ सहबा है आब-गीन-गुदा
life Mirze Ghalib Shayari
हासिल से हाथ धो बैठ ऐ आरज़ू-ख़िरामी
दिल जोश-ए-गिर्या में है डूबी हुई आसाम
हुज़ूर-ए-शाह में अहल-ए सुख़न की आज़माइश है
चमन में ख़ुश-नवायान-ए-चमन की आज़माइश है
करेंगे कोहकन के हौसले का इमतिहां आख़िर
अभी उस ख़स्ता के नेरवे-तन की आज़माइश है
नसीम-ए मिसर को क्या पीर-ए-कनआं की हवा-ख़वाही
उसे यूसुफ़ की बू-ए-पैरहन की आज़माइश है
नहीं कुछ सुब्हा-ओ-ज़ुन्नार के फंदे में गीराई
वफ़ादारी में शैख़-ओ-बरहमन की आज़माइश है
अगर आपक कोई सवाल है तो आप Comments Box में पूछ सकते हैं और हमा 24 घंटे में आपके सवालों का जवाब दे देंगे अगर आपको यह Mirze Ghalib Shayari पसंद आया है तो आप इस Share करके हमार हौसला बढ़ा सकते हैं